वफ़ूर-ए-रहमत-ए-परवरदिगार होता था

By hina-ambareenFebruary 6, 2024
वफ़ूर-ए-रहमत-ए-परवरदिगार होता था
कि सब का पहला अक़ीदा ही प्यार होता था
दरख़्त झूमते रहते दु'आ के धागों से
गली गली कोई मन्नत-गुज़ार होता था


मतब हकीम दवाई न कारगर होती
किसी की याद में ऐसा बुख़ार होता था
बस एक वा'दे पे ‘उम्रें गुज़ार दी जातीं
बिछड़ने वालों पे यूँ ए'तिबार होता था


न झूटे ख़्वाब दिखाते थे एक दूजे को
न हाथ छोड़ के कोई फ़रार होता था
जो माँ है पहले सहेली थी अपनी बेटी की
तो बाप बेटे का तब पहरे-दार होता था


28498 viewsghazalHindi