वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे
By akhilesh-tiwariMay 31, 2024
वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे
अब किसी शक्ल में तो ढाल मुझे
'अक़्ल वालों में है गुज़र मेरा
मेरी दीवानगी सँभाल मुझे
मैं ज़मीं भूलता नहीं हरगिज़
तू बड़े शौक़ से उछाल मुझे
तज्रबे थे जुदा जुदा अपने
तुम को दाना दिखा था जाल मुझे
और कब तक रहूँ मो'अत्तल सा
कर दे माज़ी मिरे बहाल मुझे
अब किसी शक्ल में तो ढाल मुझे
'अक़्ल वालों में है गुज़र मेरा
मेरी दीवानगी सँभाल मुझे
मैं ज़मीं भूलता नहीं हरगिज़
तू बड़े शौक़ से उछाल मुझे
तज्रबे थे जुदा जुदा अपने
तुम को दाना दिखा था जाल मुझे
और कब तक रहूँ मो'अत्तल सा
कर दे माज़ी मिरे बहाल मुझे
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