वो भूला सुब्ह का था घर गया ना

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
वो भूला सुब्ह का था घर गया ना
ज़रा सी देर कर दी पर गया ना
वो दुश्मन था क़रीब आने तो देते
बचा था एक ही पत्थर गया ना


नहीं थीं उस नदी में मछलियाँ भी
बहुत तन्हा था पानी मर गया ना
उसे 'आदत नहीं थी ज़िंदगी की
मोहब्बत की नज़र से डर गया ना


तुझे ही 'इश्क़ की जल्दी पड़ी थी
हमारे आँसुओं से भर गया ना
बहुत घबराए फिरते थे तुम्हीं थे
लगा था ज़ख़्म आख़िर भर गया ना


24488 viewsghazalHindi