वो दिन भी कैसा सितम मुझ पे ढा के जाएगा
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
वो दिन भी कैसा सितम मुझ पे ढा के जाएगा
जब उस की शक्ल नहीं नाम ध्यान आएगा
उदास शाम की तन्हाइयों में मेरा ख़याल
शफ़क़ का लाल दुपट्टा तुझे उढ़ाएगा
अभी तो ख़ैर ख़यालों में आना जाना है
कुछ एक दिन में ये रिश्ता भी टूट जाएगा
बिछड़ते वक़्त नमी भी न आई आँखों में
हमें गुमाँ था ये मंज़र बहुत रुलाएगा
किसे ख़बर थी मिरा ही गढ़ा हुआ किरदार
मिरे ही हाथ में उँगली नहीं थमाएगा
जब उस की शक्ल नहीं नाम ध्यान आएगा
उदास शाम की तन्हाइयों में मेरा ख़याल
शफ़क़ का लाल दुपट्टा तुझे उढ़ाएगा
अभी तो ख़ैर ख़यालों में आना जाना है
कुछ एक दिन में ये रिश्ता भी टूट जाएगा
बिछड़ते वक़्त नमी भी न आई आँखों में
हमें गुमाँ था ये मंज़र बहुत रुलाएगा
किसे ख़बर थी मिरा ही गढ़ा हुआ किरदार
मिरे ही हाथ में उँगली नहीं थमाएगा
98491 viewsghazal • Hindi