वो हसीं घड़ी वो सुनहरा पल नहीं भूलता
By qamar-malalFebruary 28, 2024
वो हसीं घड़ी वो सुनहरा पल नहीं भूलता
जो बिताया था तिरे साथ कल नहीं भूलता
कहाँ चोट आई थी गिर के याद नहीं मगर
वो किसी का कहना ज़रा सँभल नहीं भूलता
तुझे कह दिया जो पता चला मुझे 'इश्क़ है
जिसे 'इल्म हो वो कभी 'अमल नहीं भूलता
मैं ये कैसे मान लूँ मुझ को उस ने भुला दिया
कि मिरी कही जो कोई ग़ज़ल नहीं भूलता
उसे कैसे याद न आए तू ज़रा सोच तो
कि 'मलाल' जिस से तिरा बदल नहीं भूलता
जो बिताया था तिरे साथ कल नहीं भूलता
कहाँ चोट आई थी गिर के याद नहीं मगर
वो किसी का कहना ज़रा सँभल नहीं भूलता
तुझे कह दिया जो पता चला मुझे 'इश्क़ है
जिसे 'इल्म हो वो कभी 'अमल नहीं भूलता
मैं ये कैसे मान लूँ मुझ को उस ने भुला दिया
कि मिरी कही जो कोई ग़ज़ल नहीं भूलता
उसे कैसे याद न आए तू ज़रा सोच तो
कि 'मलाल' जिस से तिरा बदल नहीं भूलता
61362 viewsghazal • Hindi