वो मिला तो हुस्न के वो सारे पैकर मिल गए
By abdullah-minhaj-khanMay 18, 2024
वो मिला तो हुस्न के वो सारे पैकर मिल गए
मेरी खोई ज़िंदगी के सारे मंज़र मिल गए
'उम्र भर करते रहे हम लोग पानी की तलाश
ज़िंदगी की रेत पर सूखे समुंदर मिल गए
ऐ अकड़ कर चलने वाले बस तू इतना सोच ले
इस ज़मीं की ख़ाक में कितने सिकंदर मिल गए
वक़्त को फूलों के जैसे हम ने पाला था मगर
किस लिए फिर वक़्त के हाथों में ख़ंजर मिल गए
जब से हम इस कारवान-ए-बज़्म में दाख़िल हुए
क्या बताएँ कैसे कैसे फिर सुख़नवर मिल गए
हम जहाँ की मुश्किलों से 'उम्र भर लड़ते रहे
ज़ख़्म ढूँडे तो वो मेरे दिल के अंदर मिल गए
आज जितने हुक्मराँ हैं उन का माज़ी देख कर
जाएज़ा हम ने लिया तो सारे नौकर मिल गए
वो भलाई का ज़माना जा चुका 'मिनहाज' अब
मुफ़लिसी की राह में सारे सितमगर मिल गए
मेरी खोई ज़िंदगी के सारे मंज़र मिल गए
'उम्र भर करते रहे हम लोग पानी की तलाश
ज़िंदगी की रेत पर सूखे समुंदर मिल गए
ऐ अकड़ कर चलने वाले बस तू इतना सोच ले
इस ज़मीं की ख़ाक में कितने सिकंदर मिल गए
वक़्त को फूलों के जैसे हम ने पाला था मगर
किस लिए फिर वक़्त के हाथों में ख़ंजर मिल गए
जब से हम इस कारवान-ए-बज़्म में दाख़िल हुए
क्या बताएँ कैसे कैसे फिर सुख़नवर मिल गए
हम जहाँ की मुश्किलों से 'उम्र भर लड़ते रहे
ज़ख़्म ढूँडे तो वो मेरे दिल के अंदर मिल गए
आज जितने हुक्मराँ हैं उन का माज़ी देख कर
जाएज़ा हम ने लिया तो सारे नौकर मिल गए
वो भलाई का ज़माना जा चुका 'मिनहाज' अब
मुफ़लिसी की राह में सारे सितमगर मिल गए
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