वो मुझ को मैं किसी को मनाने निकल गया

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
वो मुझ को मैं किसी को मनाने निकल गया
इक वक़्त था जो वक़्त से पहले निकल गया
माह-ओ-नुजूम कम हुए अस्बाब में मिरे
फिर डर का आसमान भी दिल से निकल गया


नाज़ुक बहुत था उस की गली का मु'आमला
अपनी उदासियों को सँभाले निकल गया
इक बार दिल में जागी नई आग की हवस
इक रास्ता नदी के किनारे निकल गया


कल मुझ को छू गया कोई झोंका बहार का
वो भी ज़माना आँख झपकते निकल गया
तौफ़ीक़-ए-शे'र मुझ को 'अता भी हुई तो कब
जब 'आरिज़-ए-‘अरूज़ से आगे निकल गया


97228 viewsghazalHindi