वो तसव्वुर में तो आता है चला जाता है
By aalam-nizamiApril 20, 2024
वो तसव्वुर में तो आता है चला जाता है
धड़कनें दिल की बढ़ाता है चला जाता है
होने लगता है मुझे जब भी तकब्बुर का गुमाँ
कोई आईना दिखाता है चला जाता है
कोई दरवेश मुझे रोज़ सवाली बन कर
ख़्वाब-ए-ग़फ़लत से जगाता है चला जाता है
कौन है दोस्त यहाँ कौन हमारा दुश्मन
गर्दिश-ए-वक़्त बताता है चला जाता है
मेरी तुर्बत पे सर-ए-शाम दु'आओं का चराग़
कोई अश्कों से जलाता है चला जाता है
बैठ जाता हूँ रह-ए-'इश्क़ में थक कर तो जुनूँ
मंज़िल-ए-शौक़ बढ़ाता है चला जाता है
वक़्त आता है दबे पाँव हमेशा 'आलम'
सब की औक़ात बताता है चला जाता है
धड़कनें दिल की बढ़ाता है चला जाता है
होने लगता है मुझे जब भी तकब्बुर का गुमाँ
कोई आईना दिखाता है चला जाता है
कोई दरवेश मुझे रोज़ सवाली बन कर
ख़्वाब-ए-ग़फ़लत से जगाता है चला जाता है
कौन है दोस्त यहाँ कौन हमारा दुश्मन
गर्दिश-ए-वक़्त बताता है चला जाता है
मेरी तुर्बत पे सर-ए-शाम दु'आओं का चराग़
कोई अश्कों से जलाता है चला जाता है
बैठ जाता हूँ रह-ए-'इश्क़ में थक कर तो जुनूँ
मंज़िल-ए-शौक़ बढ़ाता है चला जाता है
वक़्त आता है दबे पाँव हमेशा 'आलम'
सब की औक़ात बताता है चला जाता है
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