याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं

By agha-hashr-kashmiriJune 22, 2024
याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं
भूलने वाले कभी तुझ को भी याद आता हूँ मैं
एक धुँदला सा तसव्वुर है कि दिल भी था यहाँ
अब तो सीने में फ़क़त इक टीस सी पाता हूँ मैं


ओ वफ़ा-ना-आश्ना कब तक सुनूँ तेरा गिला
बे-वफ़ा कहते हैं तुझ को और शरमाता हूँ मैं
आरज़ूओं का शबाब और मर्ग-ए-हसरत हाए हाए
जब बहार आए गुलिस्ताँ में तो मुरझाता हूँ मैं


'हश्र' मेरी शे'र-गोई है फ़क़त फ़रियाद-ए-शौक़
अपना ग़म दिल की ज़बाँ में दिल को समझाता हूँ मैं
88518 viewsghazalHindi