यहाँ जो कुछ है हुस्न-ए-ला-मकाँ के मा-सिवा क्या है
By syed-ahmed-shameemNovember 22, 2020
यहाँ जो कुछ है हुस्न-ए-ला-मकाँ के मा-सिवा क्या है
मगर जल्वा ही जल्वा है तो मेरा आइना क्या है
तू ही शह-ए-रग में रहता है तो ही मौज-ए-नफ़स में है
तो फिर बतला कि मा-ओ-तू में इतना फ़ासला क्या है
मशाम-ए-जाँ में कैसी ख़ुशबुओं की आज बारिश है
छुपाए अपने दामन में ख़ुदा जाने सबा क्या है
हम ऐसे सख़्त-जानों का बहुत मुश्किल है मर जाना
सिवा-ए-ज़िंदगी के और कोई रास्ता क्या है
न जाने जंगलों में अपने कैसी आग उगती है
उजालों का सर-ए-कोहसार जगमग सिलसिला क्या है
यही हैरत है कैसे दौर मैं जीना पड़ा मुझ को
समझ में कुछ नहीं आता भला क्या है बुरा क्या है
'शमीम' अच्छा किया कि आप ने सब कुछ भुला डाला
मगर रह रह के दिल में गूँजती पिछली सदा क्या है
मगर जल्वा ही जल्वा है तो मेरा आइना क्या है
तू ही शह-ए-रग में रहता है तो ही मौज-ए-नफ़स में है
तो फिर बतला कि मा-ओ-तू में इतना फ़ासला क्या है
मशाम-ए-जाँ में कैसी ख़ुशबुओं की आज बारिश है
छुपाए अपने दामन में ख़ुदा जाने सबा क्या है
हम ऐसे सख़्त-जानों का बहुत मुश्किल है मर जाना
सिवा-ए-ज़िंदगी के और कोई रास्ता क्या है
न जाने जंगलों में अपने कैसी आग उगती है
उजालों का सर-ए-कोहसार जगमग सिलसिला क्या है
यही हैरत है कैसे दौर मैं जीना पड़ा मुझ को
समझ में कुछ नहीं आता भला क्या है बुरा क्या है
'शमीम' अच्छा किया कि आप ने सब कुछ भुला डाला
मगर रह रह के दिल में गूँजती पिछली सदा क्या है
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