ये बात अब के उसे बताना नहीं पड़ेगी

By zaeem-rasheedNovember 27, 2020
ये बात अब के उसे बताना नहीं पड़ेगी
ग़ज़ल को हरगिज़ ग़ज़ल सुनाना नहीं पड़ेगी
जो वो मिला तो मैं ख़र्च कर दूँगा एक पल में
बदन की ख़ुश्बू मुझे बचाना नहीं पड़ेगी


तुझे ब्याहूँ तो दो क़बीले क़रीब होंगे
किसी को बंदूक़ भी उठाना नहीं पड़ेगी
मैं अपने लहजे का हाथ थामे निकल पड़ा हूँ
किसी को आवाज़ भी लगाना नहीं पड़ेगी


मैं अपनी हर इक सियाह-बख़्ती को जानता हूँ
'ज़ईम' तोते को फ़ाल उठाना नहीं पड़ेगी
14869 viewsghazalHindi