ये जादू-ए-जमाल किसी दीदा-वर से पूछ आईना क्या बताएगा मेरी नज़र से पूछ इज़हार-ए-दर्द मेरी ज़बाँ से न हो सका ऐ शोख़ दिल का हाल मिरी चश्म-ए-तर से पूछ अहद-ए-बहार में भी गुलाबों के क्यूँ हरम मिस्मार हो रहे हैं नसीम-ए-सहर से पूछ वहशत में भी किया हुआ क्या क्या नहीं हुआ कुछ अपनी रहगुज़ार से कुछ संग-ए-दर से पूछ शाम-ए-विसाल दोस्त कहाँ खो गई 'शमीम' वीरानी-ए-हयात की इस दोपहर से पूछ