ये जो साए सता रहे थे मुझे
By nawed-fidaa-sattiiNovember 11, 2020
ये जो साए सता रहे थे मुझे
किस लिए आज़मा रहे थे मुझे
ख़ुद ही मंज़र से हट गए हो तुम
रास्ते से हटा रहे थे मुझे
अपने अंदर जो झाँक कर देखा
कितने ही दर्द खा रहे थे मुझे
मैं गुल-ए-अक्स था सभी चेहरे
आइने में खिला रहे थे मुझे
कोई नग़्मा न गीत हूँ फिर भी
वसवसे गुनगुना रहे थे मुझे
मैं अंधेरे में था मगर कुछ लोग
रौशनी में बुला रहे थे मुझे
हो गया मैं 'फ़िदा' हक़ीक़त पर
ख़्वाब सारे सता रहे थे मुझे
किस लिए आज़मा रहे थे मुझे
ख़ुद ही मंज़र से हट गए हो तुम
रास्ते से हटा रहे थे मुझे
अपने अंदर जो झाँक कर देखा
कितने ही दर्द खा रहे थे मुझे
मैं गुल-ए-अक्स था सभी चेहरे
आइने में खिला रहे थे मुझे
कोई नग़्मा न गीत हूँ फिर भी
वसवसे गुनगुना रहे थे मुझे
मैं अंधेरे में था मगर कुछ लोग
रौशनी में बुला रहे थे मुझे
हो गया मैं 'फ़िदा' हक़ीक़त पर
ख़्वाब सारे सता रहे थे मुझे
99175 viewsghazal • Hindi