ये कह के और मिरा सब्र आज़माया गया
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ये कह के और मिरा सब्र आज़माया गया
वो राह पर था मुझे रास्ते पे लाया गया
पता था कोई किसी को नहीं मनाएगा
सो इख़्तिलाफ़ ज़ियादा नहीं बढ़ाया गया
अब इस ख़याल ने नींदें हराम कर दी हैं
वो कोई था भी जिसे 'उम्र-भर भुलाया गया
कुछ ऐसी कैफ़ियत-ए-वज्द थी कि फिर हम से
तमाशबीं के लिए कुछ नहीं बचाया गया
ख़याल आया कि बे-चेहरगी ही अच्छी थी
कभी ये चेहरा अगर काम में भी लाया गया
तो जानिए कि ये सहरा ये दश्त सब बेकार
अगर जुनूँ को तमाशा नहीं बनाया गया
वो राह पर था मुझे रास्ते पे लाया गया
पता था कोई किसी को नहीं मनाएगा
सो इख़्तिलाफ़ ज़ियादा नहीं बढ़ाया गया
अब इस ख़याल ने नींदें हराम कर दी हैं
वो कोई था भी जिसे 'उम्र-भर भुलाया गया
कुछ ऐसी कैफ़ियत-ए-वज्द थी कि फिर हम से
तमाशबीं के लिए कुछ नहीं बचाया गया
ख़याल आया कि बे-चेहरगी ही अच्छी थी
कभी ये चेहरा अगर काम में भी लाया गया
तो जानिए कि ये सहरा ये दश्त सब बेकार
अगर जुनूँ को तमाशा नहीं बनाया गया
34749 viewsghazal • Hindi