ये कर्तब कर दिखाना चाहता हूँ
By nazar-dwivediFebruary 27, 2024
ये कर्तब कर दिखाना चाहता हूँ
तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ
भटक जाता हूँ अक्सर मैं इन्हीं से
नुक़ूश-ए-पा मिटाना चाहता हूँ
तुझे हासिल हो ख़ुशियों का तबस्सुम
मैं तुझ से हार जाना चाहता हूँ
मैं बाहर हूँ त'अल्लुक़ से दिलों के
यक़ीं ख़ुद को दिलाना चाहता हूँ
सुना है ज़हर में लज़्ज़त बहुत है
किसी दिन आज़माना चाहता हूँ
उसे इक रोज़ ख़ुद देखूँगा पहले
तमाशा जो दिखाना चाहता हूँ
मिरा अपना तो कुछ है ही नहीं जब
तो फिर मैं क्या गँवाना चाहता हूँ
बहुत दिन से ही ये वीराँ पड़ी है
हवेली दिल की ढाना चाहता हूँ
तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ
भटक जाता हूँ अक्सर मैं इन्हीं से
नुक़ूश-ए-पा मिटाना चाहता हूँ
तुझे हासिल हो ख़ुशियों का तबस्सुम
मैं तुझ से हार जाना चाहता हूँ
मैं बाहर हूँ त'अल्लुक़ से दिलों के
यक़ीं ख़ुद को दिलाना चाहता हूँ
सुना है ज़हर में लज़्ज़त बहुत है
किसी दिन आज़माना चाहता हूँ
उसे इक रोज़ ख़ुद देखूँगा पहले
तमाशा जो दिखाना चाहता हूँ
मिरा अपना तो कुछ है ही नहीं जब
तो फिर मैं क्या गँवाना चाहता हूँ
बहुत दिन से ही ये वीराँ पड़ी है
हवेली दिल की ढाना चाहता हूँ
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