ये क्या कि फूल बनो एक ही के साथ रहो महक की तरह जियो और सभी के साथ रहो लहू पिलाना पड़ेगा तुम्हें ज़रूरत पर ये हौसला है तो फिर रौशनी के साथ रहो अगर शु'ऊर न हो प्यास बुझ नहीं सकती तमाम 'उम्र भले ही नदी के साथ रहो ये ज़िंदगी भी 'अजब इम्तिहान लेती है जिसे मिज़ाज न चाहे उसी के साथ रहो