ये पत्थर तो इक दिन पिघल जाएगा
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
ये पत्थर तो इक दिन पिघल जाएगा
हमारा ज़माना निकल जाएगा
मुझे ख़ुदकुशी पर न राज़ी करो
मिरा काम दुनिया से चल जाएगा
तिरा घर हमेशा रहेगा यहाँ
निगाहों का पहरा बदल जाएगा
ज़माने का बिछड़ा हुआ यार भी
अगर अब रुकेगा तो खल जाएगा
यही ख़त तुझे फिर से भेजेंगे हम
मगर जब तिरा हुस्न ढल जाएगा
वही है दिलासा वही आस है
बदल जाएगा सब बदल जाएगा
हमारा ज़माना निकल जाएगा
मुझे ख़ुदकुशी पर न राज़ी करो
मिरा काम दुनिया से चल जाएगा
तिरा घर हमेशा रहेगा यहाँ
निगाहों का पहरा बदल जाएगा
ज़माने का बिछड़ा हुआ यार भी
अगर अब रुकेगा तो खल जाएगा
यही ख़त तुझे फिर से भेजेंगे हम
मगर जब तिरा हुस्न ढल जाएगा
वही है दिलासा वही आस है
बदल जाएगा सब बदल जाएगा
17249 viewsghazal • Hindi