ये तमन्ना नहीं कि मर जाएँ

By ghazanfarOctober 30, 2020
ये तमन्ना नहीं कि मर जाएँ
ज़िंदा रहने मगर किधर जाएँ
ऐसी दहशत कि अपने सायों को
लोग दुश्मन समझ के डर जाएँ


वो जो पूछे तो दिल को ढारस हो
वो जो देखे तो ज़ख़्म भर जाएँ
बच के दुनिया से घर चले आए
घर से बचने मगर किधर जाएँ


इक ख़्वाहिश है जिस्म से मेरे
जल्द से जल्द बाल-ओ-पर जाएँ
अब के लम्बा बहुत सफ़र इन का
इन परिंदों के पर कतर जाएँ


सोचते ही रहेंगे हम शायद
वो बलाएँ तो उन के घर जाएँ
97077 viewsghazalHindi