ये तिश्ना-लबी ही तो है उस्लूब हमारा
By abu-hurrairah-abbasiSeptember 2, 2024
ये तिश्ना-लबी ही तो है उस्लूब हमारा
तालिब हैं तिरे हम तू है मतलूब हमारा
क़ासिद का रवय्या भी बड़ा ग़ौर-तलब था
नय ले के गया आख़िरी मक्तूब हमारा
कल शाम सर-ए-बाम दिखा चाँद जो रौशन
यादों से तिरी दिल हुआ मा'तूब हमारा
सरकार जो कह दें हमें मंज़ूर वही है
हर क़ौल मुक़द्दस तिरा मा'यूब हमारा
सब दैर-ओ-हरम देख लिए छान लिए हैं
मिटता ही नहीं है मियाँ आशोब हमारा
अब तख़्त-नशीनों को पढ़ाएँगे सबक़ हम
अब छीन के लेंगे हक़-ए-मस्लूब हमारा
तालिब हैं तिरे हम तू है मतलूब हमारा
क़ासिद का रवय्या भी बड़ा ग़ौर-तलब था
नय ले के गया आख़िरी मक्तूब हमारा
कल शाम सर-ए-बाम दिखा चाँद जो रौशन
यादों से तिरी दिल हुआ मा'तूब हमारा
सरकार जो कह दें हमें मंज़ूर वही है
हर क़ौल मुक़द्दस तिरा मा'यूब हमारा
सब दैर-ओ-हरम देख लिए छान लिए हैं
मिटता ही नहीं है मियाँ आशोब हमारा
अब तख़्त-नशीनों को पढ़ाएँगे सबक़ हम
अब छीन के लेंगे हक़-ए-मस्लूब हमारा
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