यूँ भी आँखों में किसी ख़्वाब का रेशा न बने

By danish-naqwiNovember 16, 2021
यूँ भी आँखों में किसी ख़्वाब का रेशा न बने
कोई पहचान न हो ठीक से चेहरा न बने
ऐसी तस्वीर बना रोते हुए ख़ुश भी लगूँ
ग़म की तर्सील तो हो ग़म का तमाशा न बने


मुस्तहिक़ हूँ तो किसी और से तस्दीक़ भी कर
मुझ को मत देना अगर मेरा दिलासा न बने
जितना पुख़्ता भी हो दिल जिस्म से बाहर रखना
ताकि टूटे भी तो फिर सीने में मलबा न बने


बस इसी शर्त पे कोई भी रहे आँखों में
नींद की सम्त किसी ख़्वाब का रस्ता न बने
जो भी रिश्ता हो फ़क़त मेरा हो तुझ से 'दानिश'
और तो और तिरा मुझ से भी रिश्ता न बने


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