यूँ तो मैं हूँ फ़लक उस जहाँ के लिए
By bilal-sabirMarch 1, 2024
यूँ तो मैं हूँ फ़लक उस जहाँ के लिए
पर ज़मीं हूँ इसी आसमाँ के लिए
ज़ह्न उस ज़ात से बच के चलता रहा
दिल ने जिस नाम पर ढेरों टाँके लिए
सीना जलता रहा एक सीने को और
कान खिंचने लगे एक हाँ के लिए
आस्तानों की ख़ातिर है मेरा ये सर
मेरा सर तो नहीं आस्ताँ के लिए
तुम बहारों की महफ़िल में हो सद्र और
हम ख़िज़ाँ हम ख़िज़ाँ बस ख़िज़ाँ के लिए
पर ज़मीं हूँ इसी आसमाँ के लिए
ज़ह्न उस ज़ात से बच के चलता रहा
दिल ने जिस नाम पर ढेरों टाँके लिए
सीना जलता रहा एक सीने को और
कान खिंचने लगे एक हाँ के लिए
आस्तानों की ख़ातिर है मेरा ये सर
मेरा सर तो नहीं आस्ताँ के लिए
तुम बहारों की महफ़िल में हो सद्र और
हम ख़िज़ाँ हम ख़िज़ाँ बस ख़िज़ाँ के लिए
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