ज़रा से नूर पर इतरा रहे हैं
By sapna-jainFebruary 29, 2024
ज़रा से नूर पर इतरा रहे हैं
ये जुगनू चाँद से टकरा रहे हैं
वो जिस की आँख से डरते थे बच्चे
उसी को आँख अब दिखला रहे हैं
बनेंगे वो निवाला धूप का अब
शजर फलदार जो कटवा रहे हैं
रहा ता-'उम्र जो बन कर मसीहा
उसे सूली पे सब लटका रहे हैं
बहुत दिलकश है ये दुनिया मगर हम
तिरी ख़ातिर इसे ठुकरा रहे हैं
ये जुगनू चाँद से टकरा रहे हैं
वो जिस की आँख से डरते थे बच्चे
उसी को आँख अब दिखला रहे हैं
बनेंगे वो निवाला धूप का अब
शजर फलदार जो कटवा रहे हैं
रहा ता-'उम्र जो बन कर मसीहा
उसे सूली पे सब लटका रहे हैं
बहुत दिलकश है ये दुनिया मगर हम
तिरी ख़ातिर इसे ठुकरा रहे हैं
91426 viewsghazal • Hindi