ज़ेर-ए-हुल्क़ूम है सहरा की तपिश का 'आलम
By bilal-sabirMarch 1, 2024
ज़ेर-ए-हुल्क़ूम है सहरा की तपिश का 'आलम
मुझ को मा'लूम है सहरा की तपिश का 'आलम
आज सूरज की तपिश कम है तो देखो देखो
आज मग़्मूम है सहरा की तपिश का 'आलम
मेरे अंदर का छुपा क़ैस ये बोला मुझ से
मुझ से मौसूम है सहरा की तपिश का 'आलम
ज़िंदगी मेरी भी इक शे'र के जैसी है और
जिस का मफ़्हूम है सहरा की तपिश का 'आलम
आज कुछ लफ़्ज़ रखे रेत पर अपने हम ने
और मा'दूम है सहरा की तपिश का 'आलम
मुझ को मा'लूम है सहरा की तपिश का 'आलम
आज सूरज की तपिश कम है तो देखो देखो
आज मग़्मूम है सहरा की तपिश का 'आलम
मेरे अंदर का छुपा क़ैस ये बोला मुझ से
मुझ से मौसूम है सहरा की तपिश का 'आलम
ज़िंदगी मेरी भी इक शे'र के जैसी है और
जिस का मफ़्हूम है सहरा की तपिश का 'आलम
आज कुछ लफ़्ज़ रखे रेत पर अपने हम ने
और मा'दूम है सहरा की तपिश का 'आलम
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