ज़ीस्त की शाम तलक तेरी तलब
By samar-khanabadoshFebruary 29, 2024
ज़ीस्त की शाम तलक तेरी तलब
सुब्ह-ए-हंगाम तलक तेरी तलब
शाम से सुब्ह तलक तेरा ख़याल
सुब्ह से शाम तलक तेरी तलब
गाँव से शहर तलक ख़त का सफ़र
तेरे हमनाम तलक तेरी तलब
मिस्र से शाम तलक पा-ब-रिकाब
शहर-ए-अस्नाम तलक तेरी तलब
'इश्क़ की आख़िरी मे'राज है तू
शे'र-ओ-इल्हाम तलक तेरी तलब
चश्म-ए-उश्शाक़ को फिरती है लिए
बाम से बाम तलक तेरी तलब
शहर-ए-तक़्दीस से ले आई मुझे
शहर-ए-औहाम तलक तेरी तलब
'इश्क़ गरचे है क़बीले में हराम
अपने अंजाम तलक तेरी तलब
सुब्ह-ए-हंगाम तलक तेरी तलब
शाम से सुब्ह तलक तेरा ख़याल
सुब्ह से शाम तलक तेरी तलब
गाँव से शहर तलक ख़त का सफ़र
तेरे हमनाम तलक तेरी तलब
मिस्र से शाम तलक पा-ब-रिकाब
शहर-ए-अस्नाम तलक तेरी तलब
'इश्क़ की आख़िरी मे'राज है तू
शे'र-ओ-इल्हाम तलक तेरी तलब
चश्म-ए-उश्शाक़ को फिरती है लिए
बाम से बाम तलक तेरी तलब
शहर-ए-तक़्दीस से ले आई मुझे
शहर-ए-औहाम तलक तेरी तलब
'इश्क़ गरचे है क़बीले में हराम
अपने अंजाम तलक तेरी तलब
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