मुझे इल्म आया न उन्हें अक़्ल
By अकबर-इलाहाबादीMay 30, 2024
अकबर के मशहूर हो जाने पर बहुत से लोगों ने उनकी शागिर्दी के दा’वे कर दिये। एक साहब को दूर की सूझी। उन्होंने ख़ुद को अकबर का उस्ताद मशहूर कर दिया। अकबर को जब ये इत्तिला पहुंची कि हैदराबाद में उनके एक उस्ताद का ज़ुहूर हुआ है
तो कहने लगे
“हाँ मौलवी साहब का इरशाद सच है। मुझे याद पड़ता है मेरे बचपन में एक मौलवी साहब इलाहाबाद में थे। वो मुझे इल्म सिखाते थे और मैं उन्हें अ’क़्ल
मगर दोनों नाकाम रहे। न मौलवी साहब को अ’क़्ल आई और न मुझको इल्म।”
तो कहने लगे
“हाँ मौलवी साहब का इरशाद सच है। मुझे याद पड़ता है मेरे बचपन में एक मौलवी साहब इलाहाबाद में थे। वो मुझे इल्म सिखाते थे और मैं उन्हें अ’क़्ल
मगर दोनों नाकाम रहे। न मौलवी साहब को अ’क़्ल आई और न मुझको इल्म।”
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