रंडी वाला बाग़
By January 21, 2020
जोश साहिब पुल बंगश के जिस मुहल्ले में आकर रहे उसका नाम तक़्सीम-ए-वतन के बाद से नया मुहल्ला पड़ गया था। वहां सुकूनत इख़्तियार करने के बाद जोश साहिब को मालूम हुआ कि पहले उस का नाम रंडी वाला बाग़ था। बड़ी उदासी से कहने लगे
“क्या बद मज़ाक़ लोग हैं! कितना अच्छा नाम बदल कर रख दिया।”
“क्या बद मज़ाक़ लोग हैं! कितना अच्छा नाम बदल कर रख दिया।”
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