सालिक साहब और मौलाना ताजवर, दोनों के दरमियान कशीदगी रहती थी। एक मर्तबा सालिक के एक दोस्त ने कहा कि आपके दरमियान ये “कश्मकश” ठीक नहीं, सुलह हो जानी चाहिए। सालिक बोले, “हुज़ूर, हमारी तरफ़ से तो “कश” है “मकश” तो ताजवर साहब करते हैं। आपकी नसीहत तो उनको होनी चाहिए।”