मिरी मजबूरियों ने नाज़ुकी का ख़ून कर डाला

By ameerul-islam-hashmiJanuary 29, 2021
मिरी मजबूरियों ने नाज़ुकी का ख़ून कर डाला
हर इक गोभी-बदन को गुल-बदन लिखना पड़ा मुझ को
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