आधा आदमी
By qaisar-abbasNovember 12, 2020
आसमानों से उतरी
अजनबी मख़्लूक़
या ख़ुद-कलामी में
मैं डूबी सदा-ए-बाज़-गश्त
हँसता गाता
परिंदा आवारा
दहकते ख़्वाबों में
जलता पैकर
या अध-खुले
दरवाज़ों से झाँकता
मासूम बालक
बे-नाम जज़ीरों के
अंधे कुओं से
निकलने की कोशिश-ए-नाकाम में
अन-देखे
हज़ार जुगनुओं
के तआ'क़ुब में दौड़ता
हाँफता काँपता
आधा आदमी
जो कभी
अपना दिल चीर के
नदी के बिछड़ते हुए
दो किनारों पर
दफ़्न कर आया था
और अब इन दोनों
किनारों पर खड़ा
उतरती बूंदों के मौसम में
दिन चढ़े
अपने ही पिघलते पिंजर
का इस्तिक़बाल करता है
अजनबी मख़्लूक़
या ख़ुद-कलामी में
मैं डूबी सदा-ए-बाज़-गश्त
हँसता गाता
परिंदा आवारा
दहकते ख़्वाबों में
जलता पैकर
या अध-खुले
दरवाज़ों से झाँकता
मासूम बालक
बे-नाम जज़ीरों के
अंधे कुओं से
निकलने की कोशिश-ए-नाकाम में
अन-देखे
हज़ार जुगनुओं
के तआ'क़ुब में दौड़ता
हाँफता काँपता
आधा आदमी
जो कभी
अपना दिल चीर के
नदी के बिछड़ते हुए
दो किनारों पर
दफ़्न कर आया था
और अब इन दोनों
किनारों पर खड़ा
उतरती बूंदों के मौसम में
दिन चढ़े
अपने ही पिघलते पिंजर
का इस्तिक़बाल करता है
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