अच्छी ‘आदतों का बोझ
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
मंज़िलों पर बोझ हो जाती हैं सब
रस्ते की अच्छी 'आदतें
जिन में शामिल हैं
मिरी नफ़रत सुकूँ से
एक इक पल का हिसाब
हर घड़ी मोहतात आँखें
वो नज़र
जो देख लेती है बस इक लम्हे में
कोई चीज़ छूटी तो नहीं सामान में
और बहुत थोड़ी सी नींद
अब बताओ
इतनी अच्छी ‘आदतों के साथ
कोई मंज़िलों पर क्या करे
मंज़िलों का क्या करे
रस्ते की अच्छी 'आदतें
जिन में शामिल हैं
मिरी नफ़रत सुकूँ से
एक इक पल का हिसाब
हर घड़ी मोहतात आँखें
वो नज़र
जो देख लेती है बस इक लम्हे में
कोई चीज़ छूटी तो नहीं सामान में
और बहुत थोड़ी सी नींद
अब बताओ
इतनी अच्छी ‘आदतों के साथ
कोई मंज़िलों पर क्या करे
मंज़िलों का क्या करे
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