भीड़ नहीं ये आँखें हैं

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
भीड़ नहीं ये आँखें हैं
और इन आँखों में
किसी के चश्मे का नंबर बढ़ जाता है तो
मैं धुँदला हो जाता हूँ


मजबूरी है मेरी
रिश्ते रखना कुछ अच्छी आँखों से
गर्म हाथों से
सच तो ये है


मेरा होना ही तब साबित होता है जब
कोई मुझ को देखे
मुझ को हाथ लगाए
भीड़ नहीं ये वो आँखें हैं


जिन से हूँ मैं
34654 viewsnazmHindi