चाहत की पहली बारिश

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
वो जीने की पहली ख़्वाहिश
वो चाहत की पहली बारिश
जिस में हम दोनों भीगे थे
आँखों से दिल तक गीले थे


रोने में मज़ा आता था बहुत
खोने में मज़ा आता था बहुत
क़िस्से लम्बे थे रातों से
जी भरता कब था बातों से


मौसम पे जवानी होती थी
हर शाम सुहानी होती थी
हम थाम के बाँहें बाँहों में
निकले थे वफ़ा की राहों में


इक मोड़ पे दोनों बिछड़े थे
अरमान भरे दिल उजड़े थे
दिल लेकिन याद तो करता है
रो कर फ़रियाद तो करता है


ऐ मीत पुराने आ जाओ
वो दिन दुहराने आ जाओ
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