एक नज़्म 1

By faiyaz-rifatJune 13, 2021
सब्ज़ शाख़ों पर नए
सुर्ख़ पत्ते
मख़मल की सूरत सजने लगे
पुरानी शाख़ों पर


नए पंछी चहकने लगे
पिछ्ला मौसम कब बीता
नया मौसम कब आया
ये सोच कर


हम हँसने लगे
नए आशियाने
नए मौसम
सब तुम्हारे हैं


बीती रुतों के मंज़र-नामे
बस हमारे हैं
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