एक नज़्म 1 By Nazm << एक नज़्म 2 एहतिसाब >> सब्ज़ शाख़ों पर नए सुर्ख़ पत्ते मख़मल की सूरत सजने लगे पुरानी शाख़ों पर नए पंछी चहकने लगे पिछ्ला मौसम कब बीता नया मौसम कब आया ये सोच कर हम हँसने लगे नए आशियाने नए मौसम सब तुम्हारे हैं बीती रुतों के मंज़र-नामे बस हमारे हैं Share on: