एक नज़्म 2

By faiyaz-rifatJune 13, 2021
मैं ने तुम्हें
तुम्हारे कँवल झील चेहरे को
फ़रामोश कर दिया है
पुरानी साअ'तों की


शीरीनियों को यकसर भुला दिया है
लफ़्ज़ों के मरमरीं पैकर
जुमलों की लतीफ़ सौग़ातें
हम से हमारा सब कुछ


छीन लिया गया
छीनने वाले क़ज़्ज़ाक़
हमारे अपने अज़ीज़ थे
हमारे अपने रफ़ीक़ थे


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