सैलाब के बा'द
By faisal-azeemJune 7, 2021
पानी अच्छा ख़ासा गले तक आ पहुँचा था
अच्छी ख़ासी डूब गई थी सारी बस्ती
अच्छा ख़ासा इक सैलाब था पानी उतरा
भीगे जिस्म पे चिपके कपड़ों
और ख़ाशाक का मंज़र उभरा
पानी क्या उतरा तन्हाई उभर आई है
वो जो नहीं था
वो भी जैसे सैल-ए-रवाँ के साथ गया हो
गलियों में बे-जान बदन हैं
या सन्नाटा तैर रहा है
अच्छी ख़ासी डूब गई थी सारी बस्ती
अच्छा ख़ासा इक सैलाब था पानी उतरा
भीगे जिस्म पे चिपके कपड़ों
और ख़ाशाक का मंज़र उभरा
पानी क्या उतरा तन्हाई उभर आई है
वो जो नहीं था
वो भी जैसे सैल-ए-रवाँ के साथ गया हो
गलियों में बे-जान बदन हैं
या सन्नाटा तैर रहा है
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