गुनाह
By adil-hayatOctober 23, 2020
पूछता हूँ
जब कभी मैं इन फ़रिश्तों से
कि लिखा क्या है तुम ने
हाल मेरे उन गुनाहों का
जिन्हें मैं रोज़ करता हूँ
तो ज़ालिम
कुछ बताते ही नहीं हैं
हाँ मगर वो
हाल मेरे उन गुनाहों का सुनाते हैं
जिन्हें भूले से भी
मैं ने कभी सोचा नहीं है
जब कभी मैं इन फ़रिश्तों से
कि लिखा क्या है तुम ने
हाल मेरे उन गुनाहों का
जिन्हें मैं रोज़ करता हूँ
तो ज़ालिम
कुछ बताते ही नहीं हैं
हाँ मगर वो
हाल मेरे उन गुनाहों का सुनाते हैं
जिन्हें भूले से भी
मैं ने कभी सोचा नहीं है
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