इम्कान से आगे

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
मेरी आँखें
रात गए तक
नए-नए ख़्वाबों के पीछे
चाँद की गलियों में फिरती हैं


सुब्ह से पहले
दीवारों के सूराख़ों से
गिरती पड़ती
मेरे कमरे में आती हैं


मुझ में रौशन हो जाती हैं
17894 viewsnazmHindi