जिस्म के रास्तों से गुज़र कर By Nazm << कासनी आम >> मुतमइन नफ़स की आरज़ू में जो भी निकला वो वापस न आया रूह की वहशतों में उलझ कर मुतमइन नफ़स की आरज़ू में जो भी निकला वो वापस न आया लोग फिर देखते क्यों नहीं हैं लोग फिर सोचते क्यों नहीं हैं लोग फिर बोलते क्यों नहीं हैं Share on: