जिस्म की तौहीन
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
कोई दुपट्टा पहिए में आए तो मौत भी बन सकता है
शर्म हया पुरानी थी उस की
बस जुर्म नया था
पाक मोहब्बत में इस सारी
चालाकी का मतलब क्या था
छतों छतों आँखें लड़ने तक ठीक था सब कुछ
लेकिन सूने घर में मिलना
जिस्म को आगे रख कर ख़ुद पीछे छुप जाना
फिर कहना बस अब रुक जाओ
बस अब जाओ
क्यों सुनता मैं
बोलो आख़िर क्यों रुकता मैं
जिस्म की वो तौहीन मिरी तौहीन न थी क्या
शर्म हया पुरानी थी उस की
बस जुर्म नया था
पाक मोहब्बत में इस सारी
चालाकी का मतलब क्या था
छतों छतों आँखें लड़ने तक ठीक था सब कुछ
लेकिन सूने घर में मिलना
जिस्म को आगे रख कर ख़ुद पीछे छुप जाना
फिर कहना बस अब रुक जाओ
बस अब जाओ
क्यों सुनता मैं
बोलो आख़िर क्यों रुकता मैं
जिस्म की वो तौहीन मिरी तौहीन न थी क्या
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