खनकती मिट्टी में रौशनी की

By noman-badrFebruary 28, 2024
खनकती मिट्टी में रौशनी की
मिलावटों से बनी हुई हो
किरन हो या'नी सफ़ेद शफ़्फ़ाफ़ नूर से तुम
जनी हुई हो


ये रंग-ओ-रा'नाई और मोहब्बत तिरे लिए है
तमाम फूलों की ये 'अक़ीदत तिरे लिए है
सुना है तेरे जनम पे जन्मी गई थी ख़ुशबू
गुलों को तेरे जनम पे तोहफ़ा दिया गया था


सितारे तेरे सियाह बालों के वास्ते हैं
सुना है ये चाँद तेरे माथे पे एक टीका लगा हुआ था
तुझे बना के ख़ुदा-ए-रब्ब-ए-जमाल कितना ही ख़ुश हुआ था
हर इक फ़रिश्ता कमाल-ए-हैरत से तेरे चेहरे को देखता था


सुना है झरने तुम्हारी आवाज़ के त'आक़ुब में फूटते हैं
सुना है दरिया तुम्हारे पैरों को छू के मीठे बने हुए हैं
मैं सुन रहा हूँ मैं सोचता हूँ कि तू भी क्या है
किसी की मिन्नत है या दु'आ है


गुज़िश्ता इक्कीस साल तुम ने कहाँ बिताए
वो कौन दुनिया थी जो तुम्हारे हसीन क़दमों का लम्स ले के महक रही थी
वो कोई भी थे मगर बला के नसीब वाले थे
मैं सोचता हूँ कि आने वाले जनम पे अगले बरस न जाने


ये हुस्न तेरा कहाँ खुलेगा
वो कौन ख़ुश-बख़्त शख़्स होगा
तुझे कहेगा
जनम मुबारक


वो जो भी होगा ख़ुदा सलामत रखे सभी को
हम ऐसे अंधे फ़क़ीर लम्हों में जी रहे हैं
और इस घड़ी तुम फ़क़त हमारी हो हुस्न-ज़ादी
हम ऐसे लम्हों में सदियाँ जीने के फ़न में माहिर


तुम्हें तुम्हारे जनम के दिन पर हसीन घड़ियों में कह रहे हैं
हमारी आँखों को दाद-ए-दीदार देने वाली हसीन देवी
तुम्हें मोहब्बत के इस जज़ीरे पे आने वाली घड़ी मुबारक
जो तुम को देखें जो तुम को चाहें जो तुम को सोचें


उन्हें ये दो दिन की ज़िंदगानी बड़ी मुबारक
61175 viewsnazmHindi