लफ़्ज़
By January 1, 2017

लफ़्ज़ों के हथियार
सँभल कर
कीजिए इस्ति'माल
ज़रा चूके तो
हदें सारी
टूट जाएँगी
चकना-चूर हो जाएँगे
रिश्तों के गुल-दान
रहें होशियार
कर दे न कोई वार
बड़े जान लेवा होते हैं
ये लफ़्ज़ों के हथियार
सँभल कर
कीजिए इस्ति'माल
ज़रा चूके तो
हदें सारी
टूट जाएँगी
चकना-चूर हो जाएँगे
रिश्तों के गुल-दान
रहें होशियार
कर दे न कोई वार
बड़े जान लेवा होते हैं
ये लफ़्ज़ों के हथियार
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