लफ़्ज़ Admin हथियार पर शायरी, Nazm << लफ़्ज़ की छाँव में लफ़्ज़ दे मुझे कुछ तो >> लफ़्ज़ों के हथियार सँभल कर कीजिए इस्ति'माल ज़रा चूके तो हदें सारी टूट जाएँगी चकना-चूर हो जाएँगे रिश्तों के गुल-दान रहें होशियार कर दे न कोई वार बड़े जान लेवा होते हैं ये लफ़्ज़ों के हथियार Share on: