मैं By Nazm << ये रात गुल-ए-रंगीं >> तेरी गुफ़्तुगू में एक जुस्तुजू है जो मेरे रू-ब-रू है मेरा हू-ब-हू है मेरा मैं और तेरा मैं दर-अस्ल यही तो दोनों का अदू है चलो इस मैं का फ़ासला मिटा दें मगर मैं की इस अना में क़ैद हमारे वजूद को ये फ़ैसला मंज़ूर कब है Share on: