उथले पानी में गुहर मत ढूँडो राएगाँ जाएगी मेहनत सारी उथले पानी की तरफ़ मत देखो संग-रेज़ों के सिवा क्या होगा यूँ खड़े दूर से क्या तकते हो बहर की तह में निहाँ हैं मोती दुर्र-ए-मक़सूद हैं गहराई में हो जो ग़व्वास तो तह तक पहुँचो या तो ग़र्क़ाब ही हो जाओगे वर्ना ले आओगे चुन कर मोती