मिट्टी

By ravendr-jainFebruary 1, 2022
जिस जगह की हो बेवफ़ा मिट्टी
उस जगह से मिरी उठा मिट्टी
एक दिन ख़ुद-ब-ख़ुद ये होना है
तो तू मिट्टी में मत मिला मिट्टी


जाने किस किस तरह मिले बिछड़े
आग पानी फ़लक हवा मिट्टी
रंग और नस्ल की तमीज़ ग़लत
आदमी अस्ल में है क्या मिट्टी


हम सदा जाँ पे खेल जाते हैं
हम को देती है जब सदा मिट्टी
सज्दा करने को दिल तरसता है
ला वतन की वतन से ला मिट्टी


कैसी मुर्दा-परस्त है दुनिया
मर के पाती है मर्तबा मिट्टी
सब पे हक़ उस का सब पे क़र्ज़ उस का
जाने कब किस को ले बुला मिट्टी


रोती हँसती है चलती फिरती है
कितने रंगों में जा-ब-जा मिट्टी
रौंदता है कुम्हार मिट्टी को
उस को रौंदेगी देखना मिट्टी


जिस को हम ने अज़ीज़-तर जाना
सब से पहले वो दे गया मिट्टी
अपने अंदर छुपाए बैठी है
सारी दुनिया का फ़ल्सफ़ा मिट्टी


ये कहीं पर है ढेर बे-मा'नी
और कहीं पर है कीमिया मिट्टी
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