मुकालिमा

By faiyaz-rifatJune 13, 2021
आदाब आदाब
तस्लीमात तस्लीमात
मिज़ाज-ए-अक़्दस
फ़ज़्ल-ए-रब्बी है


नमाज़ें पढ़ते हैं
फ़राग़तों से डरते हैं
अल्लाह ख़ैर-ओ-बरकत दे
सुना है आप ने नई गाड़ी


ख़रीद ली
जी हाँ मर्सिडीज़ है
अल्लाह के फ़ज़्ल से
ग्रीन कार्ड होल्डर भी हैं


मगर आप का वो कम्युनिज़म
आप तो ख़ासे रेडिकल थे
शुक्र बारी-ए-तआ'ला का
जिस ने अँधेरों में


रौशनी दिखाई
अल्लाह बड़ा बादशाह है
लॉस एँजेल्स के पोश क़ब्रिस्तान में
जगह बुक करा दी है


आप का क्या इरादा है
फ़ित्ना-ओ-फ़साद से
नजात मिली है न मिलेगी
क्या आप को वीज़ा भिजवाएँ


पेशकश का शुक्रिया
मगर अपने देसी क़ब्रिस्तान जैसी
ताज़ा हवाएँ अमरीका में कहाँ
और फिर अपने यहाँ बुकिंग की


भी ज़रूरत नहीं
मैं तो कहता हूँ क़िबला
आप भी यहीं रुक जाएँ
उम्र की आख़िरी कगार पर खड़े हैं


मैं नहीं समझता कि बुलावा आने में
कोई देर होगी
क़ील-ओ-क़ाल से काम न लें
एक दूसरे का हाथ थाम लें


क़ब्रिस्तान की हरी-भरी फ़ज़ाओं में
ख़ूब गुज़रेगी
जो मिल बैठेंगे
दीवाने दो


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