मुरव्वत By Nazm << नज़्म हज़रात-ए-इंसाँ >> शब तवील थी पर कट गई ना-मुराद वक़्त थोड़ी सी मुरव्वत कर गया जीने के लिए चंद हसीन लम्हे तारीकियों में मुनव्वर कर गया Share on: