नज़्र-ए-इक़बाल

By adeel-zaidiMay 21, 2024
जहाँ में मिस्ल-ए-अली अपना नाम पैदा कर
''दयार-ए-इश्क़ में अपना मक़ाम पैदा कर''
सबक़ ये सीख अली की ख़मोशियों से ज़रा
''सुकूत-ए-लाला-ओ-गुल से कलाम पैदा कर''


अली वो है जो ग़रीबी में भी अमीर रहा
''ख़ुदी न बेच ग़रीबी में नाम पैदा कर''
मोहब्बतों के बहुत जाम तू ने बख़्शे हैं
फ़रोग़-ए-इश्क़-ए-अली का भी जाम पैदा कर


तू शहर-ए-इल्म के दर का फ़क़ीर है तो 'अदील'
''नया ज़माना नए सुब्ह-ओ-शाम पैदा कर''
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