पाँव के नीचे की ज़मीन
By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
सफ़र में भीड़ बहुत है पता नहीं चलता
कि रास्ता है किधर और मंज़िलें हैं कहाँ
हर एक आदमी अपनी तलाश में गुम है
मगर किसी को भी अपनी ख़बर नहीं मिलती
हर एक आँख है इक दूसरे से बेगाना
हर एक चेहरा है इक दूसरे से अन-जाना
हवा पे चलते हुए लोग थक चुके हैं मगर
कहीं ठहरने को कोई जगह नहीं मिलती
ज़मीन पाँव के नीचे से खो गई है कहीं
कि रास्ता है किधर और मंज़िलें हैं कहाँ
हर एक आदमी अपनी तलाश में गुम है
मगर किसी को भी अपनी ख़बर नहीं मिलती
हर एक आँख है इक दूसरे से बेगाना
हर एक चेहरा है इक दूसरे से अन-जाना
हवा पे चलते हुए लोग थक चुके हैं मगर
कहीं ठहरने को कोई जगह नहीं मिलती
ज़मीन पाँव के नीचे से खो गई है कहीं
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