पतझड़ By Nazm << लड़कों का ज़िंदगी-नामा कई साल ब'अद >> पतझड़ आया पतझड़ आया पेड़ों से पत्ते टूटेंगे और बिखरेंगे इक इक कर के शाह-राहों पर पगडंडियों पर ज़ालिम राही बेहिस राही पत्तों को पाँव के नीचे रौंदेंगे और पत्ते पाँव के नीचे चीख़ेंगे चिल्लाएँंगे पैहम पिसते जाएँगे Share on: