रक़ीब
By sumita-misraFebruary 29, 2024
तुम ग़ैर नहीं मैं ने माना
फिर भी जब मेरे घर आना
लाज़िम है तुम्हारा
ज़रा तकल्लुफ़ से पेश आना
जहाँ मैं रहती हूँ
वहाँ ज़माना रक़ीब है
क्यों बे-वजह सुबूत दें
कौन कितना क़रीब है
फिर भी जब मेरे घर आना
लाज़िम है तुम्हारा
ज़रा तकल्लुफ़ से पेश आना
जहाँ मैं रहती हूँ
वहाँ ज़माना रक़ीब है
क्यों बे-वजह सुबूत दें
कौन कितना क़रीब है
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